Hajipur Road Accident: सड़क हादसे ने मातम में बदली खुशियां, बहन की शादी से पहले उठी भाई सहित 3 की अर्थी

 

भैया अब मुझे डोली में कौन विदा करेगा?” यह सवाल पूछती उस लड़की की चीख पूरे गांव को हिला गई जिसने अभी-अभी अपने भाई की अर्थी को कंधा दिया था। जिसकी कलाई पर अभी रक्षाबंधन का धागा सूखा भी नहीं था, वह अब अपनी शादी से पहले भाई को मुखाग्नि देने को मजबूर हो गई।
गांव में ऐसी खामोशी पसरी हुई थी, जैसे हर दीवार, हर पेड़ और हर इंसान शोक में डूबा हो। सोनू, जो घर का सबसे हँसमुख, सबसे जिम्मेदार बेटा था — वही तो सबसे आगे था बहन की शादी के इंतज़ामों में। उसने खुद कार्ड छपवाए थे, खुद लाइट और बैंडवालों से बात की थी।
सोनू की मां बार-बार बेहोश हो रही थीं। कहती जा रही थीं, “भगवान! तूने मेरी गोद क्यों खाली कर दी? क्या यही मेरा आशीर्वाद था?” पिता के चेहरे पर कोई आंसू नहीं था — बस एक गहरी चुप्पी थी। जैसे सब कुछ भीतर ही टूट रहा हो।
नीरज और राजीव के घरों में भी कुछ अलग हालात नहीं थे। उनके बूढ़े माता-पिता को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिन बेटों को उन्होंने कुछ घंटों पहले हँसते हुए भेजा था, अब वे लौटे हैं तो सिर्फ एक सफेद चादर में लिपटे हुए।
गांव की तमाम लड़कियों ने मोमबत्तियां जलाकर तीनों युवकों को विदाई दी। "भाई, अबकी राखी पर तेरा इंतज़ार करूंगी… लेकिन तू आ नहीं सकेगा," कहते हुए नन्हीं बच्चियों ने उस सड़क पर फूल बिछाए जहाँ हादसा हुआ था। यह सिर्फ एक सड़क नहीं रही — अब यह शोक और सवालों की गवाही देने वाला रास्ता बन गया है।
इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे देश की सड़कों पर चलना अब जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है? क्या बहनों को अब अपने भाइयों को हर सुबह यह कहकर भेजना होगा — "सावधानी से जाना… वापस लौटना जरूरी है?"
प्रशासन ने जांच और मुआवजे की बात जरूर कही है, लेकिन क्या खोई हुई जिंदगियां लौट सकती हैं? क्या उस बहन की टूटी डोली फिर सज सकती है जिसके भाई की आज अर्थी उठी?
हाजीपुर (बिहार), 6 मई 2025 — जहां घर में खुशियों की गूंज थी, वहां चंद लम्हों में सन्नाटा छा गया। बहन की शादी की तैयारियों में मग्न पूरा परिवार उत्साह और उल्लास में डूबा हुआ था, लेकिन एक हादसे ने सारी खुशियों को गहरे शोक में बदल दिया।
हाजीपुर जिले में सोमवार सुबह हुए भीषण सड़क हादसे ने तीन जिंदगियां छीन लीं — जिनमें दूल्हे का भाई भी शामिल था।
यह दर्दनाक घटना सदर थाना क्षेत्र के नेशनल हाईवे-77 पर घटी, जब एक तेज़ रफ्तार ट्रक ने बाइक सवार युवकों को जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में मौके पर ही तीन लोगों की मौत हो गई, जिनमें बहन का सगा भाई, उसका चचेरा भाई और एक रिश्तेदार शामिल हैं। बताया जा रहा है कि सभी युवक शादी के लिए सामान लाने निकले थे।मृतकों की पहचान 24 वर्षीय सोनू कुमार, 22 वर्षीय राजीव और 25 वर्षीय नीरज के रूप में हुई है। तीनों घर से कुछ ही दूरी पर बाजार जा रहे थे। सोनू की बहन की शादी अगले सप्ताह तय थी। घर में ढोल-नगाड़े बजने वाले थे, लेकिन अब वहां रोने-चिल्लाने की आवाजें गूंज रही हैं।
हादसे के बाद मौके पर स्थानीय लोगों की भीड़ जुट गई। गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क जाम कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। लोगों का आरोप है कि हाईवे पर तेज़ रफ्तार और ट्रैफिक नियंत्रण की कमी से आए दिन हादसे हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन चुप बैठा है।
सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और ट्रक चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने का आश्वासन भी दिया है।
जहां कुछ घंटे पहले हल्दी और मेंहदी की तैयारियां चल रही थीं, अब वहां सफेद चादर बिछी हुई है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। बहन की शादी की खुशियां अब हमेशा के लिए दर्द में बदल गईं हैं।

यह हादसा एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि तेज़ रफ्तार और लापरवाही से चलाए जाने वाले वाहन कितनी जिंदगियां छीन सकते हैं। अब सवाल यह है कि कब जागेगा प्रशासन, और कब सुरक्षित होंगी हमारी सड़कों की यात्राएं?
यह सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं थी। यह तीन घरों की दुनिया का उजड़ना था। यह तीन माताओं की ममता का टूटना था। यह एक बहन की शादी से पहले भाई का विदा होना था… वो भी हमेशा के लिए।
"कुछ दर्द ऐसे होते हैं, जो वक़्त के साथ नहीं, बल्कि हर त्योहार, हर मुस्कान और हर खाली कुर्सी पर दोबारा लौटते हैं।"


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