ममता कुलकर्णी को हाल ही में किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनाया गया था, जिसके बाद से ही विवाद शुरू हो गया था। कई संतों और अखाड़े के सदस्यों ने इस नियुक्ति का विरोध किया था। उनका तर्क था कि ममता कुलकर्णी का बॉलीवुड बैकग्राउंड और उनकी छवि अध्यात्मिक परंपराओं के अनुरूप नहीं है।
अजयदास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर आरोप लगाया कि उन्होंने अखाड़े की परंपराओं का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि त्रिपाठी ने बैजंती माला (संन्यास का प्रतीक) को उतारकर रुद्राक्ष माला धारण की, जो अखाड़े की परंपराओं के खिलाफ है। इसके अलावा, उन पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का भी आरोप लगाया गया है।
अजयदास ने कहा कि उन्होंने 2015-16 में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर का पद दिया था, ताकि किन्नर अखाड़े का विकास हो सके। लेकिन, त्रिपाठी ने परंपराओं का उल्लंघन किया और अखाड़े की छवि को नुकसान पहुंचाया। इसी वजह से उन्हें पद से हटाया गया है।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अजयदास के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि अजयदास अब किन्नर अखाड़े के संस्थापक नहीं हैं, इसलिए उन्हें उन्हें हटाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को लेकर जल्द ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं।
अभी तक ममता कुलकर्णी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, इस विवाद के बाद उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की जा रही है।
अजयदास ने कहा कि अखाड़े का नए सिरे से पुनर्गठन किया जाएगा और परंपराओं का पालन करने वाले लोगों को जिम्मेदारी दी जाएगी। इस बीच, यह देखना होगा कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी इस फैसले के खिलाफ क्या कदम उठाते हैं।