अगर आप अगले हफ़्ते तक उन्हें भूल जाएँगे तो उनके ताबूतों को सलामी मत दीजिए" – ब्रिगेडियर सुशील भसीन (सेवानिवृत्त) की भावुक अपील

 

सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर सुशील भसीन द्वारा हाल ही में साझा किया गया एक भावुक और चिंतनशील पोस्ट पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। यह पोस्ट युवा पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की दुखद मृत्यु के बाद लिखा गया जो युद्ध में नहीं, बल्कि एक 46 वर्ष पुराने जगुआर विमान में हुए हादसे में शहीद हुए।"अगर आप अगले हफ़्ते तक उन्हें भूल जाएँगे तो उनके ताबूतों को सलामी मत दीजिए" – यह वाक्य फ्लाइट लेफ्टिनेंट अभिजीत गाडगिल की मां, श्रीमती कविता गाडगिल के द्वारा 2001 में लिखा गया था, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है।       

 ब्रिगेडियर भसीन की आवाज़, अब देश की आवाज़ बनी: पोस्ट साझा करते हुए उन्होंने लिखा कि यह केवल एक अनुभवी सैनिक की बात नहीं, बल्कि एक पीड़ित नागरिक की पुकार है। पोस्ट ने 24 घंटे में ही:

 75,426 व्यूज़,97 कमेंट्स और 87 रीपोस्ट्सका आंकड़ा पार कर लिया। लोगो की प्रतिक्रियाए तीखी और सटीक थीशायद चुप्पी इसलिए है क्योंकि इन पायलटों में कोई भी राजनेता का बेटा नहीं था। अगर ये युद्ध में मारे जाते, तो समझ आता। लेकिन ये तो रोकी जा सकने वाली त्रासदी है। श्रद्धांजलि देना बंद करो, सुधार की शुरुआत करो।”     

 340+ विमान दुर्घटनाएं, 150+ पायलटों की जान गईकब जागेगा सिस्टम?    

 सरकार से: एक पारदर्शी और ठोस आधुनिकीकरण रोडमैप तुरंत जारी किया जाए।

मीडिया से: विषय को सुर्खियों में बनाए रखें।

नागरिकों से: आगे आएं, आवाज़ उठाएं, बदलाव की मांग करें।

अंतिम शब्द:“हम अगली दुर्घटना का इंतज़ार नहीं कर सकते।हम अपने हाथों से सलामी नहीं दे सकते और दिल से भूल नहीं सकते। जय हिंद।

लेखक परिचय: ब्रिगेडियर सुशील भसीन (सेवानिवृत्त)भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी, युद्ध के मैदान से बोर्डरूम तक संस्था के संस्थापक और नेतृत्व प्रशिक्षक।

मूल पोस्ट लिंक: ( https://tinyurl.com/4zwa6uhb) 

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