मुख्यमंत्री
योगी ने कहा, "डॉ.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की
एकता और अखंडता के
लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने भारत में एक नई राजनीतिक
सोच की नींव रखी,
जो आज ‘सबका साथ, सबका विकास’ के संकल्प के
रूप में आगे बढ़ रही है।"
उन्होंने
कहा कि आज जब
भारत दुनिया में एक सशक्त राष्ट्र
के रूप में उभर रहा है, तब डॉ. मुखर्जी
के विचार और आदर्श और
भी प्रासंगिक हो गए हैं।
मुख्यमंत्री ने युवाओं से अपील की कि वे डॉ. मुखर्जी के जीवन से प्रेरणा लेकर देशहित में कार्य करें और उनके सपनों के भारत के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाएं। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कई मंत्रीगण, विधायकगण, और भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
कार्यक्रम
के अंत में ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ के
नारों से वातावरण गूंज
उठा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. मुखर्जी
के जीवन से जुड़े प्रसंगों
का उल्लेख करते हुए कहा कि कैसे उन्होंने
अनुच्छेद 370 के खिलाफ संघर्ष
करते हुए अपनी जान की आहुति दी,
लेकिन देश की एकता और
अखंडता से कभी समझौता
नहीं किया।
मुख्यमंत्री
ने यह भी कहा
कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान व्यर्थ
नहीं गया। आज जम्मू-कश्मीर
से अनुच्छेद 370 को हटाकर देश
के हर नागरिक को
एक समान अधिकार और सम्मान मिल
रहा है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी और गृहमंत्री अमित
शाह के संकल्प और
डॉ. मुखर्जी के सपनों को
साकार करने की दिशा में
एक ऐतिहासिक कदम है।
योगी आदित्यनाथ
ने
कहा—"डॉ. मुखर्जी का जीवन हमें
सिखाता है कि यदि
संकल्प अडिग हो और उद्देश्य
राष्ट्र सेवा का हो, तो
कोई भी ताकत हमें
रोक नहीं सकती। आज का दिन
हमें यह स्मरण कराता
है कि देश पहले
है, और बाकी सब
बाद में।"
कार्यक्रम के दौरान भाजपा नेताओं ने भी अपने विचार साझा किए और डॉ. मुखर्जी के योगदान को स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाने योग्य बताया। साथ ही युवाओं को उनके विचारों से जुड़ने और देश की सेवा में योगदान देने का आह्वान किया गया।
इस श्रद्धांजलि सभा के माध्यम से न केवल डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सम्मानित किया गया, बल्कि यह कार्यक्रम एक प्रेरणा बनकर उभरा, जो राष्ट्रभक्ति और सेवा की भावना को जन-जन तक पहुंचाता है।