राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लाल किला, नई दिल्ली में दशहरा 2025 के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' को आतंकवाद पर विजय का प्रतीक बताया। पढ़ें पूरा समाचार।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लाल किला, नई दिल्ली में आयोजित दशहरा पर्व के भव्य समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने देशवासियों को दशहरा की शुभकामनाएं देते हुए बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में आतंकवाद को मानवता के लिए खतरा बताते हुए भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' की सराहना की। राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संबोधन में कहा, "जब आतंकवाद का दानव मानवता पर प्रहार करता है, तब उसका दमन करना अनिवार्य हो जाता है।" उन्होंने भारतीय सेना द्वारा हाल ही में किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' को आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम बताया। राष्ट्रपति ने इसे आतंकवाद के रावण पर मानवता की विजय का प्रतीक करार दिया। यह ऑपरेशन भारतीय सेना की वीरता और देश की सुरक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। दशहरा पर्व के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने देशवासियों से अपने भीतर की बुराईयों को खत्म करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "दशहरा हमें सिखाता है कि बुराई चाहे बाहर हो या हमारे भीतर, उसे खत्म करना आवश्यक है। यह पर्व हमें सत्य, धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।"लाल किला में आयोजित इस दशहरा समारोह में रावण दहन का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति, सरकारी अधिकारी और आम नागरिक उपस्थित रहे। राष्ट्रपति ने इस पर्व को एकता और सौहार्द का प्रतीक बताते हुए देशवासियों से सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने का आग्रह किया। दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक है। यह पर्व देशभर में उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संदेश में इस पर्व को भारतीय संस्कृति और मूल्यों का अभिन्न हिस्सा बताया। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में देशवासियों से एकता, शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि दशहरा हमें न केवल बाहरी बुराइयों से लड़ने की प्रेरणा देता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि हमें अपने भीतर की कमियों को सुधारना चाहिए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का लाल किला में दशहरा समारोह में भाग लेना और उनका प्रेरणादायक संदेश देशवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण रहा। उनके संबोधन ने न केवल भारतीय सेना की वीरता को सम्मानित किया, बल्कि दशहरा पर्व के गहरे संदेश को भी जन-जन तक पहुंचाया।