मोकामा हत्याकांड अपडेट, दुलारचंद यादव मौत का कारण, अनंत सिंह बिहार चुनाव 2025 - बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोकामा क्षेत्र में हुई दुलारचंद यादव की हत्या ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। गुरुवार को हुए इस खूनी संघर्ष के बाद दुलारचंद के पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उनकी मौत गोली लगने से नहीं, बल्कि आंतरिक चोटों से हुई। इसी रिपोर्ट को देखते हुए दुलारचंद के समर्थक लाल रोने लगे, जबकि जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह पर हत्या के गंभीर आरोप लगे हैं। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं। दुलारचंद यादव कौन थे? मोकामा की राजनीति में उनका रोलदुलारचंद यादव मोकामा विधानसभा क्षेत्र के टाल इलाके के एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और जन सुराज पार्टी के समर्थक थे। वे जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के लिए जोर-शोर से प्रचार कर रहे थे। मोकामा, जो बाहुबली नेताओं की राजनीति के लिए कुख्यात है, वहां दुलारचंद का नाम अनंत सिंह के खिलाफ एक मजबूत आवाज के रूप में उभर रहा था। दुलारचंद पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन वे स्थानीय स्तर पर काफी प्रभावशाली थे। उनकी हत्या ने न केवल उनके परिवार को शोक में डुबो दिया, बल्कि पूरे क्षेत्र की राजनीति को प्रभावित कर दिया है।घटना का पूरा विवरण: क्या हुआ था मोकामा में?30 अक्टूबर 2025 को मोकामा के तारतर गांव में जन सुराज पार्टी के प्रचार अभियान के दौरान हिंसा भड़क उठी। दुलारचंद यादव पीयूष प्रियदर्शी के काफिले के साथ थे, जब जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह के समर्थकों ने कथित तौर पर हमला कर दिया। गवाहों के अनुसार, पहले लाठी-डंडों से मारपीट हुई, फिर गोलीबारी शुरू हो गई।
दुलारचंद को पैर में गोली मारी गई, उसके बाद सिर और शरीर पर कई वार किए गए। घटनास्थल से गोलियों के खोखे, लाठियां और वाहनों के निशान बरामद हुए।इस झड़प में दोनों पक्षों के बीच भारी पथराव और लाठीचार्ज हुआ। दुलारचंद के समर्थकों ने शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने से इनकार कर दिया, जिससे देरी हुई। अंततः भारी सुरक्षा बलों की मौजूदगी में शव को पटना के सदर अस्पताल पहुंचाया गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का सनसनीखेज खुलासा: गोली से नहीं, आंतरिक चोटों से मौतदुलारचंद यादव का पोस्टमार्टम 31 अक्टूबर 2025 को किया गया। प्रारंभिक रिपोर्ट में डॉक्टरों ने बताया कि उनकी मौत फेफड़े फटने और पसलियों के टूटने से हुई। एक्स-रे जांच में गोली का कोई निशान नहीं मिला, बल्कि आंतरिक चोटें ही मौत का मुख्य कारण बनीं।यह खुलासा आने के बाद दुलारचंद के परिवार और समर्थक सदमे में आ गए। रिपोर्ट पढ़ते ही उनके पोते रविरंजन और अन्य परिजन लाल रो पड़े, क्योंकि शुरुआती आशंकाओं के विपरीत यह मौत और भी रहस्यमयी हो गई।पुलिस अधीक्षक विक्रम सहाग ने कहा, "पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन फिलहाल सभी पहलुओं की जांच चल रही है।"यह रिपोर्ट हत्या के तरीके पर सवाल खड़े कर रही है - क्या मारपीट इतनी क्रूर थी कि आंतरिक अंग क्षतिग्रस्त हो गए?अनंत सिंह पर हत्या का आरोप: क्या कहते हैं दावे?इस हत्याकांड में सबसे बड़ा नाम जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह का है, जिन्हें 'छोटे सरकार' के नाम से जाना जाता है। दुलारचंद के पोते रविरंजन ने दावा किया, "गोली अनंत सिंह ने खुद मारी।" पुलिस ने अनंत सिंह, उनके भतीजों रणवीर और कर्मवीर सहित पांच लोगों के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज की। कुल तीन एफआईआर फाइल की गई हैं। अनंत सिंह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे विरोधियों की साजिश बताया। उन्होंने हत्या का इल्जाम आरजेडी प्रत्याशी वीणा देवी के पति सूरजभान सिंह पर लगाया। अनंत सिंह ने कहा, "यह सूरजभान सिंह का खेल है। हमारी जांच में सब साफ हो जाएगा।"अनंत सिंह की क्राइम कुंडली पहले से ही लंबी है, जिसमें कई हत्या और अपराध के मामले दर्ज हैं। चुनाव आयोग की कार्रवाई और इलाके में तनावइस घटना के बाद चुनाव आयोग ने बिहार के डीजीपी से रिपोर्ट तलब की है। मोकामा में पुलिस तैनाती बढ़ा दी गई है, और माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। दुलारचंद के अंतिम संस्कार के दौरान समर्थकों ने "अनंत सिंह को फांसी दो" के नारे लगाए। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसे राज्य में कानून-व्यवस्था की विफलता बताया।मोकामा की खूनी सियासत: अनंत सिंह vs सूरजभान सिंहमोकामा विधानसभा क्षेत्र लंबे समय से बाहुबलियों का गढ़ रहा है। अनंत सिंह और सूरजभान सिंह के बीच पुरानी दुश्मनी है, जो अब चुनावी रंग ले चुकी है। जन सुराज, जेडीयू, आरजेडी - सभी पार्टियां इस हत्याकांड को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही हैं। दुलारचंद की मौत ने जातिगत समीकरणों को भी प्रभावित किया है, जहां यादव वोट बैंक की लड़ाई तेज हो गई है।निष्कर्ष: न्याय की उम्मीददुलारचंद यादव की हत्या बिहार चुनाव 2025 को खूनी रंग दे रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मामले को नया मोड़ दिया है, लेकिन सच्चाई सामने आने तक परिवार का दर्द कम नहीं होगा। अनंत सिंह पर लगे आरोपों की जांच तेज होनी चाहिए, ताकि मोकामा की मिट्टी फिर से लाल न हो। क्या यह राजनीतिक साजिश का नतीजा है? समय बताएगा।