नई दिल्ली, 26 मई 2025 | कांस्टीट्यूशनल क्लब
देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर प्रेरणा, सम्मान और सामाजिक उत्तरदायित्व की मिसाल बनी जब Emerging Achievers Award Council ने प्रतिष्ठित Iconic Achievers Award - Season 5 का भव्य आयोजन कांस्टीट्यूशनल क्लब में किया। यह कार्यक्रम उन असली नायकों को मंच देने और सम्मानित करने का एक सार्थक प्रयास था, जो बिना शोर-शराबे के अपने कार्यक्षेत्र में समाज और देश के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं।
इस गौरवशाली आयोजन की शोभा बढ़ाई राज्यसभा सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री नरेश बंसल, दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा मंत्री श्री कपिल मिश्रा, वीरता पुरस्कार प्राप्त कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी (वीर चक्र), तथा गोवा की पूर्व सेशंस जज एवं चाइल्ड कोर्ट की पूर्व अध्यक्ष सयोनारा टेल्स - लाआ, जैसे अनेक सम्मानित अतिथियों ने।
इसके अलावा मंच पर मौजूद रहे सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता, पर्यावरणविद् और लेखक श्री अश्विनी दुबे, EAAC की चेयरपर्सन सुष्मिता सिखा ऐच, और तिब्बती संसद के डिप्टी स्पीकर आचार्य येशी फुंत्सोक, जो तिब्बती चिकित्सा परिषद के सलाहकार भी हैं।
कार्यक्रम की आयोजक Emerging Achievers Award Council ने बताया कि इस अवॉर्ड का मुख्य उद्देश्य है उन लोगों को पहचान दिलाना जो शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज सेवा, विज्ञान, पर्यावरण संरक्षण, कला, और सांस्कृतिक उन्नयन जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, परंतु उन्हें कोई मंच या सम्मान नहीं मिल पाता। इस वर्ष, देश के विभिन्न राज्यों से 140 से अधिक प्रतिभाओं को Iconic Achievers Award से नवाज़ा गया। ये वे चेहरे हैं जो समाज के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं, मगर अब तक गुमनाम रहे।
"Honoring and Inspiring Greatness" — सिर्फ एक नारा नहीं, एक आंदोलन
Iconic Achievers Award - Season 5 ने यह साबित कर दिया कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, कमी है उन्हें पहचान देने की। इस आयोजन ने न सिर्फ इन सच्चे कर्मवीरों को सराहना दी, बल्कि युवाओं को भी यह प्रेरणा दी कि वे अपने जुनून को जिंदा रखें — क्योंकि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।
Iconic Achievers Award Season 5 न केवल एक अवॉर्ड समारोह था, बल्कि यह उन सपनों का उत्सव था जो चुपचाप सच्चाई बनते हैं। जब एक शिक्षक को, एक समाजसेवी को, एक डॉक्टर या कलाकार को समाज के सामने सराहा जाता है, तो वो सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं होती – वो उनके जीवन की तपस्या का सम्मान होता है।