एक शिक्षक, एक समाजसेवी, एक साहित्यकार—डॉ. मुरली मनोहर भट्ट को मिला “राष्ट्रीय अशोक अवार्ड”

 

नई दिल्ली, 26 मई 2025 | प्रेरणा तब जन्म लेती है जब सेवा और समर्पण जीवन का उद्देश्य बन जाए। ऐसे ही एक प्रेरक व्यक्तित्व, डॉ. मुरली मनोहर भट्ट को नीति आयोग भारत सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थान ‘इंटरनेशनल पीस अवार्ड काउंसिल (IPAC), नई दिल्ली’ द्वारा राष्ट्रीय अशोक अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके 25 वर्षों से भी अधिक समय के शिक्षण कार्य को, बल्कि उनके सामाजिक सेवा, पर्यावरण सरंक्षण और साहित्यिक योगदान को समर्पित श्रद्धांजलि है।डॉ. भट्ट का जीवन एक सतत प्रेरणा स्रोत है—उत्तरकाशी, उत्तराखंड में एक शिक्षक के रूप में उन्होंने ज्ञान बांटा, वहीं एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में गायत्री परिवार शांतिकुंज से जुड़कर वृक्षगंगा वृक्षारोपण अभियान, नारी जागरण, वैदिक संस्कार और यज्ञ, पर्यावरण संरक्षण, नशा उन्मूलन जैसे अभियानों में नि:स्वार्थ सेवा दी। उन्होंने समाज को केवल पढ़ाया नहीं, जगाया भी


उनकी साहित्यिक यात्रा भी उतनी ही प्रभावशाली है। हिंदी गद्य-पद्य रचनाओं के माध्यम से उन्होंने आत्मनिर्भरता, नैतिकता और संस्कृति की अलख जगाई। उनका मानना है—“शब्दों की शक्ति से भी समाज को बदला जा सकता है।”
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार में उन्हें अंगवस्त्र, गोल्डन शील्ड, स्वर्णिम अशोक स्तंभ, और प्रमाणपत्र भेंट किया गया—पर असली पुरस्कार है लोगों के दिलों में बसी उनकी छवि।
डॉ. भट्ट न केवल एक शिक्षक हैं, वे एक आंदोलन हैं। वे राजकीय शिक्षक संघ गढ़वाल मंडल के पदाधिकारी, राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली मोर्चा के संयोजक के रूप में भी सक्रिय हैं। उनके भीतर की ज्वाला, न केवल शिक्षा की लौ है, बल्कि समाज को न्याय और गरिमा दिलाने की आग भी है।
उनका सपना है—"हर नागरिक आत्मनिर्भर बने, हर बच्चा शिक्षित हो, हर जीवन प्रेरित हो।"
वे कहते हैं—“मैं जब तक जीवित हूँ, एक शिक्षक, एक सृजनशील साहित्यकार और एक जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में देश की सेवा करता रहूंगा।”


यह सम्मान सिर्फ डॉ. भट्ट का नहीं, यह उन सभी गुमनाम नायकों का है, जो बिना किसी शोर के, समाज को बदल रहे हैं।सलाम है ऐसे कर्मयोद्धा को,जो शिक्षा से दीप जलाते हैं, साहित्य से सोच को संवारते हैं, और सेवा से समाज को सजाते हैं।डॉ. मुरली मनोहर भट्ट – एक नाम नहीं, एक प्रेरणा हैं।
अशोक अवार्ड उनके लिए एक पड़ाव है, लेकिन उनकी यात्रा अभी जारी है—एक उज्जवल और आत्मनिर्भर भारत की ओर।
डॉ. मुरली मनोहर भट्ट की यह उपलब्धि केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि उन हजारों-लाखों लोगों के लिए एक संदेश है जो चुपचाप, नि:स्वार्थ भाव से समाज की सेवा में लगे हैं। यह हमें याद दिलाता है कि परिवर्तन केवल बड़े मंचों या ताकतवर आवाज़ों से नहीं आता, बल्कि वह हर उस इंसान से आता है जो खुद को समाज के लिए समर्पित करता है।
आज जब दुनिया तेज़ी से बदल रही है, तब डॉ. भट्ट जैसे लोग हमें यह सिखाते हैं कि संस्कार, सेवा, और सच्चाई ही असली पूंजी है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक व्यक्ति भी अगर ठान ले, तो समाज को बदल सकता है, पीढ़ियों को दिशा दे सकता है।उनकी यात्रा हमें यह संदेश देती है—"अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाइए, क्योंकि देश को आगे ले जाने की ताक़त हम सब में है।"डॉ.भट्ट का हर कार्य, हर विचार, हर शब्द आज भी कई दिलों में उम्मीद जगाता है।


हम सब उनके आदर्शों से प्रेरणा लें—और खुद भी अपने जीवन में कुछ ऐसा करें, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ गर्व से कह सकें—हमने भी अपने समय में समाज के लिए कुछ अच्छा किया था।क्योंकि असली उपलब्धि ट्रॉफी नहीं, बल्कि वो मुस्कान है जो किसी ज़रूरतमंद के चेहरे पर आपके कारण आती है।डॉ. मुरली मनोहर भट्ट जैसे कर्मयोद्धा को दिल से नमन।उनकी यात्रा हमारे लिए रोशनी की वह किरण है, जो हमें बेहतर बनने, आगे बढ़ने और समाज को कुछ लौटाने की प्रेरणा देती है।



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