एक जिम्मेदार समाज के सात स्तंभ
पुस्तक के समापन में, डॉ. सिंह ने एक जिम्मेदार समाज के सात मूल स्तंभों को रेखांकित किया है:
जागरूकता (Awareness) – बदलाव की शुरुआत जागरूकता से होती है। जब हम अपने समाज की समस्याओं को समझते हैं और दूसरों को भी जागरूक करते हैं, तभी सच्चा बदलाव संभव है।
सही पालन-पोषण और व्यवहार – जिम्मेदारी की नींव घर से शुरू होती है। बच्चों को अच्छे संस्कार देना और खुद भी सकारात्मक व्यवहार अपनाना समाज को सशक्त बनाता है।
शिक्षा (Education) – एक शिक्षित समाज ही प्रगति कर सकता है। समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी के लिए आवश्यक है।
स्वास्थ्य और स्वच्छता – स्वस्थ और स्वच्छ जीवन हर नागरिक का अधिकार है। साफ पानी, सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं और स्वच्छता सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए।
खाद्य सुरक्षा (Food Security) – हर व्यक्ति को पोषणयुक्त भोजन मिलना चाहिए। भोजन की बर्बादी को रोकना और जरूरतमंदों तक भोजन पहुँचाना समाज की जिम्मेदारी है।
पर्यावरणीय जिम्मेदारी – पर्यावरण की रक्षा हम सभी की साझी जिम्मेदारी है। टिकाऊ जीवनशैली, कचरे का सही प्रबंधन और संरक्षण आवश्यक हैं।
व्यक्ति की मानसिकता (Mindset) – अंत में, समाज वैसा ही बनता है जैसे उसके लोग होते हैं। यदि हम सभी संवेदनशील, जागरूक और सक्रिय बनें, तो सकारात्मक परिवर्तन संभव है।
डॉ. सिंह की यह पुस्तक न केवल सोचने पर मजबूर करती है, बल्कि एक बेहतर इंसान बनने की राह भी दिखाती है। यह हर किसी को एक "सिंगल हैंडल एनजीओ" बनने की प्रेरणा देती है – यानी ऐसा व्यक्ति जो अकेले भी समाज में बड़ा फर्क ला सकता है।
"मेकिंग ए रिस्पॉन्सिबल 'यू'" अब Amazon और Kindle पर उपलब्ध है। डॉ. सिंह सभी से आग्रह करते हैं कि वे अपने व्यस्त जीवन से थोड़ा समय निकालें, इस पुस्तक को पढ़ें और एक जिम्मेदार समाज की दिशा में पहला कदम उठाएं।
“बदलाव का इंतज़ार मत कीजिए, खुद बदलाव बनिए।”
नई दिल्ली: समाज सुधारक और प्रेरणास्रोत डॉ. पलविंदर सिंह ने अपनी नई पुस्तक "मेकिंग ए रिस्पॉन्सिबल 'यू'" का विमोचन प्रसिद्ध लेखक चेतन भगत के साथ किया है। यह पुस्तक डॉ. सिंह ने स्वयं लिखी है, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों और विचारों को संजोने में छह महीने से अधिक का समय लगाया। पुस्तक में उन्होंने उस प्रेरणादायक यात्रा को साझा किया है, जिसमें उन्होंने अकेले दम पर एक एनजीओ की नींव रखी। आज, उनके साथ उनकी फैमिली में छह समर्पित लोग हैं—जो उनके परिवार हैं—और जो मिलकर निरंतर जरूरतमंद लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। डॉ. सिंह का कहना है, “सरकार या एनजीओ को दोष देने से बेहतर है कि हम खुद कुछ करें। यदि हम रोज़ सिर्फ 15 मिनट किसी सामाजिक कार्य में लगाएं, तो समाज को बेहतर बनाया जा सकता है।” यह किताब केवल एक आत्मकथा नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक गाइड है, जो हर पाठक को जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करती है।