
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “भारत शांति का पक्षधर जरूर
है, लेकिन किसी दबाव में नहीं आता। हमारी सुरक्षा नीति किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप पर
नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता और
जनता के हितों पर
आधारित होती है।
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही
में एक चुनावी सभा
में दावा किया था कि उनके
कार्यकाल के दौरान उन्होंने
भारत और पाकिस्तान के
बीच तनाव को कम कराया
था और मोदी सरकार
को सीजफायर के लिए राजी
किया था। उन्होंने यह भी कहा
कि भारत उनके कहने पर पीछे हटा
था।
ट्रंप का यह बयान
सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय हलकों
में चर्चा का विषय बन
गया, जिसके बाद भारत सरकार को आधिकारिक प्रतिक्रिया
देनी पड़ी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने
भी ट्रंप के दावे को
"तथ्यहीन और भ्रामक" करार
दिया। प्रवक्ता ने कहा, “भारत
और पाकिस्तान के बीच शांति
बहाली एक द्विपक्षीय विषय
है। इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार
नहीं की जा सकती।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी
दलों ने इस मुद्दे
पर मोदी सरकार से पारदर्शिता की
मांग की है। कांग्रेस
नेता जयराम रमेश ने कहा, “अगर
ट्रंप का दावा झूठा
है तो सरकार को
पूरी तरह से स्पष्ट करना
चाहिए कि उस समय
क्या कूटनीतिक बातचीत हुई थी।”
वहीं भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि
प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा देश
की सुरक्षा और गरिमा को
सर्वोपरि रखा है, और किसी भी
झूठे प्रचार से भारत की
छवि धूमिल नहीं होगी।
मोदी सरकार ने एक बार
फिर यह स्पष्ट कर
दिया है कि भारत
किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव
में आकर अपनी रणनीति नहीं बदलता। ट्रंप के इस दावे
से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक
खटास आ सकती है,
लेकिन भारत ने अपने रुख
से यह संदेश दिया
है कि वह राष्ट्रहित
से समझौता नहीं करेगा।