नई दिल्ली, 16 जून 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस में बसे भारतीय समुदाय का दिल से धन्यवाद किया है और आश्वासन दिया है कि भारत आने वाले समय साइप्रस के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और सशक्त करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “मैं साइप्रस में भारतीय समुदाय का उनके प्रेम और समर्थन के लिए हृदय से धन्यवाद करता हूँ। भारत भविष्य में भी साइप्रस के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए निरंतर प्रयास करता रहेगा।
प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत और साइप्रस के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की कोशिश की जा रही है। साइप्रस में बसे भारतीय प्रवासी वहां की अर्थव्यवस्था, तकनीकी क्षेत्र, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में अहम योगदान दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री
मोदी ने यह भी
कहा कि भारतीय समुदाय
विदेशों में भारत की संस्कृति, परंपरा
और मूल्यों का गौरव बढ़ा
रहा है। उन्होंने कहा कि यह समुदाय
दोनों देशों के भारत और
साइप्रस के संबंधों को
जोड़ने वाली एक अहम कड़ी
बन गया है।
भारत
और साइप्रस के बीच लंबे
समय से मजबूत द्विपक्षीय
रिश्ते हैं। दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों, शांति और स्थिरता को
लेकर साझा दृष्टिकोण रखते हैं। हाल ही में व्यापार,
शिक्षा और डिजिटल सहयोग
जैसे क्षेत्रों में भी कई समझौते
हुए हैं।
सरकार
के सूत्रों के अनुसार, आने
वाले समय में भारत-साइप्रस के बीच उच्च
स्तरीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा, तकनीकी
सहयोग और युवाओं के
लिए शैक्षिक अवसरों में वृद्धि जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
साइप्रस में
भारतीय
समुदाय
की
स्थिति:
साइप्रस में लगभग 8,000 से अधिक भारतीय
नागरिक रहते हैं, जिनमें छात्र, पेशेवर, डॉक्टर, इंजीनियर और व्यवसायी शामिल
हैं।
भारतीय
समुदाय साइप्रस में बेहद सक्रिय और सम्मानित माना
जाता है। वे वहां की
स्वास्थ्य सेवाओं, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा और होटल इंडस्ट्री
में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
भारतीय
सांस्कृतिक संगठनों की गतिविधियाँ भी
साइप्रस में भारत की संस्कृति को
जीवंत बनाए रखती हैं। त्यौहारों, योग कार्यक्रमों, और सांस्कृतिक उत्सवों
के माध्यम से भारतीय समुदाय
ने न केवल अपनी
पहचान बनाई है, बल्कि भारत और साइप्रस के
बीच सांस्कृतिक पुल की भूमिका भी
निभाई है।
इस बयान
का
दो
देशों
के
व्यापार
पर
क्या
प्रभाव
होगा?
प्रधानमंत्री मोदी का यह सकारात्मक
और सहयोगात्मक बयान द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊर्जा
देगा। वर्तमान में भारत और साइप्रस के
बीच व्यापार मुख्यतः फाइनेंशियल सेवाओं, शिपिंग, पर्यटन और शिक्षा पर
केंद्रित है।
विशेषज्ञों
का मानना है कि यह
संदेश निवेशकों के लिए एक
भरोसे का संकेत है
और इससे साइप्रस के उद्योगपतियों को
भारत में निवेश करने का उत्साह मिलेगा।
वहीं भारतीय कंपनियाँ भी साइप्रस को
यूरोप में प्रवेश के गेटवे के
रूप में देख सकती हैं।
वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि भारत-साइप्रस के बीच जल्द ही मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू हो सकती है, जिससे व्यापारिक करों में राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान केवल एक औपचारिक कूटनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक दृष्टिकोण और प्रवासी भारतीयों के सम्मान को दर्शाता है। इससे भारत-साइप्रस संबंधों को नई गति मिलेगी और व्यापार, शिक्षा, संस्कृति व तकनीक के क्षेत्र में गहराई से सहयोग की संभावनाएँ और मजबूत होंगी।