नए भारतीय कानूनों ने रचा इतिहास और महिला-बच्चों की सुरक्षा और त्वरित न्याय की ओर एक मजबूत कदम

 

                                       देश की न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव लाने के लिए मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए आपराधिक कानूनों को आज एक वर्ष पूरा हो गया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली में किया गया, जिसमें इन नए कानूनों की एक वर्ष की उपलब्धियों और प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की गई।
इन तीन नए कानूनोंभारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिताका मुख्य उद्देश्य देश में पारदर्शिता, समयबद्धता और न्याय की गति को बढ़ाना है। खासकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, डिजिटल सबूतों की वैधता, और आधुनिक तकनीकों के प्रयोग ने इन कानूनों को 21वीं सदी की न्याय प्रणाली के अनुरूप बना दिया है ।
एक वर्ष की प्रमुख उपलब्धियां: दोष सिद्धि दर में 20% की बढ़ोतरी ।
 महिला-बाल अपराधों के मामलों में त्वरित सुनवाई और सजा
डिजिटल सबूतों को कोर्ट में प्रमुखता से मान्यता
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, -एफआईआर और ट्रैकिंग सिस्टम की शुरुआत
अमित शाह ने इस कार्यक्रम में कहा, “ये तीनों कानून भारत को एक सशक्त, सुरक्षित और न्यायपूर्ण राष्ट्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर हैं। ये सिर्फ कानून नहीं, बल्कि न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन का संकल्प हैं।
ये कानून क्यों हैं विशेष?: पीड़ित केंद्रित प्रक्रिया: अब पुलिस और कोर्ट की भूमिका पीड़ित के अधिकारों की रक्षा करने वाली होगी।
महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों में सख्त सजा और त्वरित न्याय।
टेक्नोलॉजी युक्त प्रक्रिया से पारदर्शिता और विश्वसनीयता।
भारत को टॉप जस्टिस डिलीवरी देशों की सूची में लाने की दिशा में बड़ा कदम।
"न्याय में देरी, अन्याय के समान" — इस सोच को समाप्त करने के लिए मोदी सरकार ने जो विधानिक क्रांति की है, उसका एक वर्ष आज पूरे देश के लिए गर्व और विश्वास का प्रतीक बन गया है। यह पहल केवल वर्तमान को सुरक्षित कर रही है, बल्कि न्यायपूर्ण भारत के भविष्य की भी नींव रख रही है।

 

और नया पुराने