समाज में असली नायक वही होते हैं, जो अपनी मेहनत और समर्पण से आने वाली पीढ़ियों का भविष्य गढ़ते हैं। इसी सोच को साकार करते हुए, इमर्जिंग अचीवर्स अवॉर्ड काउंसिल, नई दिल्ली (जो नीति आयोग से सम्बद्ध संस्था है) के तत्वावधान में राजधानी दिल्ली स्थित Constitution Club of India में 27 September में एक भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर देशभर से विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाली विभूतियों को सम्मानित किया गया।करीब 50 से अधिक विभूतियों को उनकी उपलब्धियों और समाज में किए गए कार्यों के लिए विशिष्ट अवॉर्ड प्रदान किए गए। इन्हीं में प्रयागराज के महेंद्र प्रताप सिंह पब्लिक स्कूल, वीरभानपुर के उप प्रधानाचार्य श्री संजय श्रीवास्तव को शिक्षा और विज्ञान में उनके असाधारण योगदान के लिए Iconic Peace Honorary Doctorate Award से सम्मानित किया गया।
शिक्षा और
विज्ञान
में
संजय
श्रीवास्तव
की
अद्वितीय
उपलब्धियाँ
: संजय श्रीवास्तव पिछले 32 वर्षों से विज्ञान शिक्षा
के क्षेत्र से जुड़े हैं।
अपने लंबे शिक्षण काल में उन्होंने विद्यार्थियों में विज्ञान विषय के प्रति गहरी
रुचि उत्पन्न की और उन्हें
शोध व नवाचार के
लिए प्रेरित किया। उनके
नेतृत्व में अब तक 1500 से
अधिक बाल वैज्ञानिकों ने विभिन्न सामयिक
और स्थानीय समस्याओं पर शोधपत्र तैयार
किए और प्रदेश व
राष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रतिभा
का परचम लहराया। वे
राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (NASI), इलाहाबाद और इंस्टिट्यूट ऑफ
एप्लाइड साइंसेज़ के रिसोर्स पर्सन
के रूप में कार्य करते हुए अनेक कार्यशालाओं, व्याख्यानों और सेमिनारों में
सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। केंद्रीय
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के Centre for Excellence के अंतर्गत वे
कई अध्यापकों को प्रशिक्षण भी
प्रदान कर चुके हैं और वे
DNA Club (DBT, New Delhi & NASI supported) के
जिला समन्वयक के रूप में
विद्यार्थियों को जैव विविधता
संरक्षण और पर्यावरणीय जागरूकता
की दिशा में मार्गदर्शन देते रहे हैं।
लेखन और
प्रकाशन
में
योगदान:
संजय श्रीवास्तव न केवल शिक्षा
और शोध में अग्रणी हैं, बल्कि लेखन और प्रकाशन के
क्षेत्र में भी उनका योगदान
सराहनीय है।उनकी दो पुस्तकें “ग्रीन
कुंभ; क्लीन कुंभ” और “पर्यावरण प्रदूषण के खतरे पहले
ही प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी
तीसरी पुस्तक “पानी रे पानी तेरा
रंग कैसा?” शीघ्र ही प्रकाशित होने
वाली है।ये पुस्तकें छात्रों और समाज दोनों
के लिए पर्यावरण संरक्षण का मजबूत संदेश
देती हैं। पूर्व में
मिले
सम्मान
और
अवॉर्ड्स:
संजय श्रीवास्तव के अथक प्रयास
और समर्पण को समय-समय
पर विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं ने सराहा है।
उनके योगदान को राष्ट्रीय और
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली
है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कई महत्वपूर्ण सम्मान
प्राप्त हुए। इनमें राष्ट्रीय अमूल्य निधि अवॉर्ड, एशिया पैसिफिक अवॉर्ड, डॉ. एस. राधाकृष्णन सद्भावना अवॉर्ड, राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवॉर्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद ने उन्हें बेस्ट
साइंस टीचर अवॉर्ड से नवाज़ा, वहीं
भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय
विज्ञान अकादमी ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ
विज्ञान शिक्षक अवॉर्ड प्रदान किया। संजय श्रीवास्तव को प्रयाग गौरव
अवॉर्ड से भी सम्मानित
किया गया है। ये सभी पुरस्कार
न केवल उनके समर्पण और योगदान का
प्रमाण हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
का स्रोत भी हैं।
भव्य आयोजन और विशिष्ट अतिथि: Iconic Peace Award 2025 के इस भव्य आयोजन की शोभा उस समय और भी बढ़ गई जब कई प्रतिष्ठित दिग्गज हस्तियाँ अपनी गरिमामयी उपस्थिति के साथ समारोह में शामिल हुईं। इनमें डॉ. इंजीनियर विष्णु प्रसाद बराल – अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, नेपाल हिंदू पुनर्स्थापना मंच एवं फाउंडर्स स्किल्स इंडिया के संस्थापक; सयोनारा टेलेस लाड – पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश, गोवा; विजय सम्पला – भारत सरकार के पूर्व सामाजिक न्याय एवं सहकारिता राज्यमंत्री; गुरु यशी आचार्य फुंसोटो – पूर्व डिप्टी स्पीकर, एक्साइल तिब्बत एवं अध्यक्ष, भारत सहयोग मंच; और अश्विनी दुबे – सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं लेखक, विशेष रूप से शामिल हुए। इन महानुभावों की मौजूदगी ने न केवल आयोजन को और भव्य बना दिया, बल्कि इसे एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायी आयाम भी प्रदान किया। संजय श्रीवास्तव की इस उपलब्धि पर विद्यालय की निदेशिका गोल्डी सिंह, प्रधानाचार्या रागिनी सिंह, प्रबंधक हेमंत यादव, और डॉ. आर.के. टण्डन सहित अनेक गणमान्य लोगों ने हर्ष व्यक्त करते हुए बधाई दी। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि मेहनत, समर्पण और लगन से हर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। संजय श्रीवास्तव ने साबित किया है कि शिक्षा केवल ज्ञान देने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव और वैज्ञानिक सोच को मजबूत बनाने की शक्ति भी है। अवॉर्ड्स और सम्मान केवल प्रतीक मात्र नहीं होते, बल्कि वे आने वाली पीढ़ियों को यह प्रेरणा देते हैं कि सच्ची सफलता डिग्री या पद से नहीं, बल्कि कर्म और योगदान से परिभाषित होती है। Iconic Peace Honorary Doctorate Award 2025 से सम्मानित होकर संजय श्रीवास्तव ने यह दिखा दिया कि निरंतर परिश्रम, शोध और विद्यार्थियों को प्रेरित करने का जुनून किसी भी शिक्षक को असाधारण ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है।यह सम्मान केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा जगत और समाज के लिए गर्व का विषय है।