बिहार
विधानसभा चुनाव 2025 के बीच केंद्रीय
मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एक वायरल वीडियो
के कारण सुर्खियों में हैं। मोकामा में एक रैली के
दौरान दिए गए उनके बयान
ने पूरे देश का ध्यान खींच
लिया है, जहां उन्होंने समर्थकों से विपक्षी वोटरों
को वोट डालने से रोकने और
उन्हें घर में कैद
रखने की अपील की।
यह बयान न केवल विपक्षी
दलों कांग्रेस और RJD के निशाने पर
आ गया है, बल्कि चुनाव आयोग ने भी 3 नवंबर
2025 को ललन सिंह को नोटिस जारी
कर 24 घंटे के अंदर जवाब
मांगा है। क्या यह लोकतंत्र पर
सीधी धमकी है या महज
चुनावी जोश का अतिरेक? आइए,
इस बिहार चुनाव विवाद की पूरी कहानी
को समझते हैं। बिहार
के पटना जिले के मोकामा विधानसभा
क्षेत्र में 2 नवंबर 2025 को आयोजित एक
जनसभा में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने एनडीए प्रत्याशी
अनंत सिंह के समर्थन में
जोरदार भाषण दिया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है
कि ललन सिंह ने कहा, "वोटिंग
के दिन विपक्षी वोटरों को घर से
बाहर न निकलने दो।
अगर बहुत जिद करें, तो उन्हें उठाकर
मतदान केंद्र ले जाओ और
अपना वोट डलवा दो।" यह बयान अनंत
सिंह के समर्थन में
दिया गया, जो फिलहाल हत्या
के आरोप में बेउर जेल में बंद हैं। ललन सिंह ने आगे कहा,
"मोकामा के लोग अनंत
सिंह की कमी महसूस
न करें। हर कोई अनंत
सिंह बनकर वोट डाले।" यह
वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से
वायरल हो गया और
बिहार चुनाव 2025 की चर्चा को
नई ऊंचाई दे दी। ललन
सिंह का यह बयान
अनंत सिंह के समर्थन में
था, जिन्हें हाल ही में जन
सुराज पार्टी कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या के
मामले में गिरफ्तार किया गया। ललन सिंह ने इसे "षड्यंत्र"
बताते हुए कहा कि पुलिस जांच
में सच्चाई सामने आएगी। ललन सिंह के बयान पर
विपक्ष ने तुरंत कड़ा
रुख अपनाया। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने ट्विटर (अब
X) पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "केंद्रीय मंत्री ललन सिंह चुनाव आयोग की सत्ता को
कुचलते हुए कह रहे हैं
कि गरीबों को वोट डालने
न दो! उन्हें घर में बंद
कर दो। अगर बहुत गिड़गिड़ाएं, तो उठाकर ले
जाकर वोट डलवा दो। मृत चुनाव आयोग कहां है?" कांग्रेस ने भी इसे
लोकतंत्र पर हमला करार
दिया। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि
ऐसे बयान बिहार में जंगल राज की वापसी का
संकेत हैं। तेजस्वी यादव ने इसे "एनडीए
की गुंडागर्दी" बताते हुए कहा कि बिहार की
जनता ऐसी राजनीति को नकार देगी।
विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग
से तत्काल कार्रवाई की मांग की
है, जिसमें ललन सिंह के खिलाफ FIR दर्ज
करने की भी बात
कही गई यह
विवाद बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण
की वोटिंग (6 नवंबर) से ठीक पहले
आया है, जब राज्य की
243 सीटों पर NDA (बीजेपी-जेडीयू) और महागठबंधन (RJD-कांग्रेस)
के बीच कांटे की टक्कर है।
वोटों की गिनती 14 नवंबर
को होगी। चुनाव आयोग ऑफ इंडिया (ECI) ने
ललन सिंह के बयान को
गंभीरता से लेते हुए
3 नवंबर 2025 को उन्हें नोटिस
जारी किया। नोटिस में कहा गया है कि यह
बयान मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का
उल्लंघन है, जो वोटरों को
धमकी देने और मतदान की
स्वतंत्रता में बाधा डालने जैसा है। आयोग ने ललन सिंह
से 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण
मांगा है। ECI के इस कदम
को विपक्ष ने स्वागतयोग्य बताया,
लेकिन RJD ने आयोग पर
"मृत प्रतीत होने" का तंज कसा।
विशेषज्ञों का मानना है
कि यदि ललन सिंह का जवाब संतोषजनक
न हुआ, तो उनके खिलाफ
आगे की कार्रवाई हो
सकती है, जैसे प्रचार पर रोक। यह
घटना बिहार चुनाव 2025 में अपराधीकरण और स्ट्रॉन्गमैन पॉलिटिक्स
पर बहस को तेज कर
रही है, जहां एक तिहाई उम्मीदवारों
पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह विवाद बिहार
की राजनीति में बहुबली संस्कृति को फिर से
उजागर कर रहा है।
अनंत सिंह जैसे नेताओं का समर्थन NDA की
रणनीति का हिस्सा माना
जा रहा है, जो जातिगत समीकरणों
पर आधारित है। ललन सिंह ने अनंत सिंह
को "मोकामा का गौरव" बताते
हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी
षड्यंत्र है। दूसरी
ओर, विपक्ष इसे सुशासन के दावों पर
सवाल उठाने का मौका मान
रहा है। पीएम मोदी और सीएम नीतीश
कुमार ने हाल ही
में रैलियों में जंगल राज पर चुटकी ली,
लेकिन यह घटना NDA की
छवि को नुकसान पहुंचा
सकती है। बिहार में महिलाओं की भागीदारी, युवा
रोजगार और बाढ़ नियंत्रण
जैसे मुद्दों के बीच यह
विवाद वोटरों के बीच ध्रुवीकरण
बढ़ा सकता है। ललन सिंह विवाद बिहार चुनाव 2025 को एक नया
मोड़ दे रहा है।
क्या यह बयानबाजी है
या वास्तविक धमकी? चुनाव आयोग की कार्रवाई से
साफ है कि लोकतंत्र
की रक्षा प्राथमिकता है। बिहारी वोटर अब तय करेंगे
कि विपक्षी वोटरों को कैद करने
वाली राजनीति को जगह मिलेगी
या नहीं। 6 नवंबर को पहले चरण
की वोटिंग में जनता का फैसला सबको
चौंका सकता है।
