देव दीपावली, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से
भी जाना जाता है, भारत की सांस्कृतिक और
धार्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण
पर्व है। यह पर्व विशेष
रूप से उत्तर प्रदेश
की पावन नगरी काशी (वाराणसी) में धूमधाम से मनाया जाता
है। इस वर्ष 2025 में,
देव दीपावली का उत्सव एक
बार फिर बाबा विश्वनाथ की नगरी को
लाखों दीपकों की रोशनी से
आलोकित कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक
ट्विटर हैंडल से
इस पावन अवसर पर सभी देशवासियों
को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। आइए,
इस लेख में जानते हैं देव दीपावली के महत्व, इतिहास,
उत्सव और PM मोदी के संदेश के
बारे में विस्तार से।देव दीपावली कार्तिक मास की पूर्णिमा को
मनाया जाने वाला एक अनोखा त्योहार
है। मान्यता है कि इस
दिन देवता भी दीपावली मनाते
हैं और पृथ्वी पर
अवतरित होकर मां गंगा के तट पर
दीप जलाते हैं। काशी के घाटों पर
लाखों दीप प्रज्वलित किए जाते हैं, जो पूरे वातावरण
को दिव्य और भव्य बना
देते हैं। यह पर्व दीपावली
के ठीक 15 दिन बाद आता है और इसे
"देवताओं की दीवाली" कहा
जाता है।
देव दीपावली का धार्मिक, सांस्कृतिक
एवं पर्यटन महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता
है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। काशी की घाटों पर दीपदान, आरती
और संगीतमय कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो इस त्योहार को विशेष आध्यात्मिक रंग देते
हैं। साथ ही, हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक काशी पहुंचकर इस अद्भुत दृश्य का साक्षी
बनते हैं, जिससे यह त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटक दृष्टिकोण से
भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।
इस वर्ष देव
दीपावली 2025 पर काशी के
घाट पूरी तरह से प्रकाशमय हो
गए हैं। मां गंगा के किनारे स्थित
84 घाटों पर लाखों मिट्टी
के दीपक जलाए गए हैं। आसमां
में आतिशबाजी, घाटों पर गंगा आरती
और भजन-कीर्तन का आयोजन इस
पर्व को और भी
यादगार बना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट
में लिखा:“बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी
आज देव दीपावली के अनुपम प्रकाश
से आलोकित है। मां गंगा के किनारे काशी
के घाटों पर प्रज्वलित लाखों
दीपों में सबके लिए सुख-समृद्धि की कामना है।
यह दिव्यता और भव्यता हर
किसी के मन-प्राण
को मंत्रमुग्ध कर देने वाली
है। आप
सभी को देव दीपावली
की हार्दिक शुभकामनाएं। हर-हर महादेव!”
यह संदेश न
केवल काशी की दिव्यता को
दर्शाता है, बल्कि पूरे देश में सुख-समृद्धि और एकता की
कामना करता है। देव दीपावली का इतिहास और
मान्यताएं भारतीय संस्कृति एवं धर्म में गहरी भूमिका रखती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, स्कंद
पुराण के अनुसार, भगवान
शिव ने त्रिपुरासुर नामक
राक्षस का वध कार्तिक
पूर्णिमा को किया था।
इस घटना की याद में
देवताओं ने काशी में
दीपोत्सव का आयोजन किया,
जो आज भी दिवाली
के पूर्णिमा के दिन बड़े
उत्साह और श्रद्धा के
साथ मनाया जाता है। इसके अलावा, माना जाता है कि इसी
दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई
थीं, इसलिए गंगा स्नान इस दिन का
विशेष महत्व रखता है और इसे
अत्यंत फलदायी माना जाता है। काशी, जिसे "देव नगरी" भी कहा जाता
है, बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद प्राप्त
स्थल है, जहां देव दीपावली का उत्सव सबसे
भव्य रूप से मनाया जाता
है, जो श्रद्धालुओं और
पर्यटकों दोनों के लिए एक
अद्भुत धार्मिक अनुभव प्रदान करता है।
देव दीपावली का त्योहार श्रद्धा
और भक्ति के साथ मनाने
का विशेष महत्त्व है। इसे मनाने के लिए सबसे
पहले सुबह-सुबह गंगा स्नान करें और मां गंगा
में डुबकी लगाएं। इसके बाद, शाम को घर या
घाट पर मिट्टी के
दीपक जलाएं, जिससे प्रकाश और सकारात्मकता का
वातावरण बने। दशाश्वमेध घाट पर आयोजित भव्य
गंगा आरती में भाग लें और देवताओं का
वंदन करें। साथ ही, जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र
या दीपक दान करके पुण्य प्राप्त करें। अंत में, बाबा विश्वनाथ का स्मरण करते
हुए 'हर-हर महादेव'
का जाप करें और जयकारे लगाएं,
ताकि यह त्योहार भक्तिपूर्ण
और शुभ हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद हैं
और काशी के विकास के
लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसे कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट
शुरू किए हैं। हर प्रमुख पर्व
पर वे काशी की
संस्कृति और परंपरा को
सोशल मीडिया के माध्यम से
दुनिया तक पहुंचाते हैं।
इस बार भी उनका देव
दीपावली संदेश लाखों लोगों के दिलों को
छू रहा है। देव दीपावली 2025 काशी की आध्यात्मिक ऊर्जा
और सांस्कृतिक वैभव का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाओं के
साथ यह पर्व पूरे
देश में खुशहाली और समृद्धि का
संदेश लेकर आया है। आइए, हम सभी मां
गंगा और बाबा विश्वनाथ
का आशीर्वाद लें और इस पावन
अवसर पर सुख-शांति
की कामना करें।आप सभी को देव दीपावली
की हार्दिक शुभकामनाएं! हर-हर महादेव!