एनआईए ने दिल्ली रेड फोर्ट कार बम जांच में जसीर बिलाल वानी को गिरफ्तार किया: जयश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल का तकनीकी विशेषज्ञ

 

भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक बड़ा खुलासा करते हुए श्रीनगर निवासी जसीर बिलाल वानी को गिरफ्तार किया है। वानी जयश--मोहम्मद (जेईएम) के एक खतरनाक मॉड्यूल का तकनीकी विशेषज्ञ माना जा रहा है, जो 10 नवंबर को दिल्ली के रेड फोर्ट के पास हुए कार बम हमले का मास्टरमाइंड था। इस हमले में 15 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। एनआईए की इस कार्रवाई से आतंकवादी नेटवर्क पर एक और झटका लगा है।क्या हुआ था 10 नवंबर को?: दिल्ली के ऐतिहासिक रेड फोर्ट के नजदीक पार्किंग क्षेत्र में एक कार में विस्फोटक लादकर सुसाइड बॉम्बर ने खुद को उड़ा लिया। एनआईए की जांच में सामने आया है कि हमलावर डॉ. उमर उन नबी था, जो चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा एक रेडिकलाइज्ड व्यक्ति था। इस हमले की साजिश जेईएम के उस मॉड्यूल ने रची थी, जो ड्रोन और रॉकेट हमलों की योजना बना रहा था। लक्ष्य थे जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के संवेदनशील स्थल।जांच एजेंसियों के अनुसार, यह हमला पिछले आतंकी घटनाओं से प्रेरित था, जिसमें आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) का इस्तेमाल किया गया। एनआईए ने वानी को दिल्ली से गिरफ्तार किया, जो श्रीनगर में रहते हुए मॉड्यूल को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा था। वानी की गिरफ्तारी से मॉड्यूल के कई राज खुलने की उम्मीद है, जिसमें ड्रोन तकनीक और रिमोट कंट्रोल्ड विस्फोटकों की ट्रेनिंग शामिल है।
इस घटना पर गृह मंत्री अमित शाह ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, "आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एनआईए और अन्य एजेंसियां हर स्तर पर सक्रिय हैं।" शाह ने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया और वादा किया कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी। उनकी इस टिप्पणी ने विपक्षी दलों के बीच बहस छेड़ दी है।
एनआईए की प्रारंभिक जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हमले में शामिल सदस्यों की रेडिकलाइजेशन अकादमिक संस्थानों और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी हुई है। डॉ. उमर उन नबी जैसे कई युवा ऑनलाइन प्रोपगैंडा के शिकार होकर इस दिशा में मुड़े। जांच में पाया गया कि सोशल मीडिया और डार्क वेब के जरिए रिक्रूटमेंट हो रहा था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नेटवर्क शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से युवाओं को निशाना बना रहा है।इसके अलावा, राजनीतिक स्तर पर भी इस घटना ने विभाजन पैदा कर दिया है। विपक्ष ने सरकार पर सुरक्षा चूक का आरोप लगाया, जबकि सत्ताधारी दल ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताते हुए एकजुटता की अपील की। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं, और इंटेलिजेंस एजेंसियों को और मजबूत करने की जरूरत है।
एनआईए ने वानी से पूछताछ शुरू कर दी है, और मॉड्यूल के अन्य सदस्यों की तलाश तेज हो गई है। ड्रोन हमलों की योजना पर फोकस करते हुए सीमा क्षेत्रों में सतर्कता बरती जा रही है। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था को और सशक्त करने के निर्देश दिए हैं।यह गिरफ्तारी केवल रेड फोर्ट हमले की जांच को मजबूत करेगी, बल्कि पूरे देश में सक्रिय आतंकी मॉड्यूलों पर नकेल कसने में भी मददगार साबित होगी। नागरिकों से अपील की गई है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत पुलिस को सूचित करें।

 

 

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