भारत-रूस समुद्री सहयोग को मिली नई गति: पीएम मोदी और निकोलाई पात्रुशेव की अहम मुलाकात


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रूसी राष्ट्रपति के सहायक और रूस के मरीन बोर्ड के अध्यक्ष श्री निकोलाई पात्रुशेव से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने समुद्री क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने पर गहन और सकारात्मक चर्चा की।पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुलाकात की जानकारी साझा करते हुए लिखा, “मुझे रूसी राष्ट्रपति के सहायक एवं मरीन बोर्ड के अध्यक्ष श्री निकोलाई पात्रुशेव से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने समुद्री क्षेत्र में सहयोग पर बहुत उपयोगी बातचीत की, जिसमें कनेक्टिविटी, स्किल डेवलपमेंट, जहाज निर्माण (शिपबिल्डिंग) और ब्लू इकोनॉमी में नए सहयोग के अवसरों पर विशेष ध्यान दिया गया।” दोनों देशों के बीच समुद्री कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने पर सहमति बनी। खासकर चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मरीटाइम कॉरिडोर को और मजबूत करने तथा रूस के नॉर्दर्न सी रूट को वैश्विक व्यापार के लिए उपयोगी बनाने पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इससे भारत को यूरोप और एशिया के बीच सबसे छोटा और कम खर्चीला समुद्री मार्ग उपलब्ध होगा।भारतीय युवाओं के लिए समुद्री क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट और ट्रेनिंग के नए कार्यक्रम शुरू करने पर भी सहमति बनी। रूस के उन्नत शिपिंग और पोर्ट मैनेजमेंट प्रशिक्षण केंद्रों में भारतीय युवाओं को प्रशिक्षण देने की योजना पर चर्चा हुई, जिससे भारत में कुशल मानव संसाधन तैयार होगा।शिपबिल्डिंग और शिप रिपेयर के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। रूस की अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए भारत अपने शिपयार्ड्स को मजबूत करना चाहता है, ताकि “मेक इन इंडिया” के तहत बड़े वाणिज्यिक जहाजों और युद्धपोतों का निर्माण तेजी से हो सके। ब्लू इकोनॉमी के तहत सतत समुद्री विकास और संसाधनों के जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग पर भी विस्तृत बात हुई। दोनों देश समुद्री पर्यावरण संरक्षण, मत्स्य पालन, समुद्री खनिज संसाधनों के दोहन और नवीकरणीय समुद्री ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर काम करने को इच्छुक हैं।यह मुलाकात भारत की SAGAR (Security and Growth for All in the Region) नीति और रूस की आर्कटिक विकास रणनीति को एक-दूसरे के पूरक बनाती है। दोनों देशों के बीच बढ़ता समुद्री सहयोग न सिर्फ व्यापार और रक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि इंडो-पैसिफिक और आर्कटिक क्षेत्र में नई रणनीतिक साझेदारी की नींव भी रखेगा।


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