वाराणसी
(काशी) की पवित्र भूमि
एक बार फिर वैदिक परंपरा की अमर ज्योति
बन गई है। मात्र
19 वर्ष की आयु में
देवव्रत महेश रेखे ने वह कारनामा
कर दिखाया जिसे सुनकर खुद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का मन
प्रफुल्लित हो उठा।22 घंटे
पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक
X (ट्विटर) हैंडल से
पोस्ट करते हुए लिखा:“19 वर्ष के देवव्रत महेश
रेखे जी ने जो
उपलब्धि हासिल की है, वो
जानकर मन प्रफुल्लित हो
गया है। उनकी ये सफलता हमारी
आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनने
वाली है।”देवव्रत
महेश रेखे ने शुक्ल यजुर्वेद
की माध्यन्दिन शाखा के 2000 मंत्रों वाले “दण्डकर्म पारायणम्”
को 50 दिनों तक लगातार, बिना
एक दिन का भी अवकाश
लिए पूर्ण किया है। इसमें हजारों वैदिक ऋचाएँ, पवित्र मंत्र और अत्यंत जटिल
उच्चारण शामिल हैं, जिन्हें पूर्ण शुद्धता और स्वर लय
के साथ उच्चारण करना अत्यंत कठिन माना जाता है।यह साधना काशी की पवित्र भूमि
पर ही संपन्न हुई
है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने “हमारी गुरु परंपरा का सबसे उत्तम
रूप”
बताया।
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प्रधानमंत्री
मोदी
ने
क्या
कहा?अपने पूरे पोस्ट में प्रधानमंत्री जी ने लिखा:“भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर एक व्यक्ति
को ये जानकर अच्छा
लगेगा कि श्री देवव्रत
ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा
के 2000 मंत्रों वाले ‘दण्डकर्म पारायणम्’
को 50 दिनों तक बिना किसी
अवरोध के पूर्ण किया
है। काशी से सांसद के
रूप में, मुझे इस बात का
गर्व है कि उनकी
यह अद्भुत साधना इसी पवित्र धरती पर संपन्न हुई।”
आज
के दौर में जब ज्यादातर युवा
सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी में
डूबे रहते हैं, वहाँ 19 साल का एक बालक
50 दिन तक वैदिक मंत्रों
की साधना में लीन रहे – यह अपने आप
में एक चमत्कार है।
यह उपलब्धि यह साबित करती
है कि हमारी वैदिक
परंपरा आज भी जीवंत
है और युवा पीढ़ी
इसे आगे बढ़ा रही है।
प्रधानमंत्री
मोदी ने काशी को
विश्व की सांस्कृतिक राजधानी
बनाने का संकल्प लिया
है। देवव्रत जैसे युवा साधकों के कारण काशी
एक बार फिर वैदिक ज्ञान और अध्यात्म का
सबसे बड़ा केंद्र बन रही है।
देवव्रत
महेश रेखे की यह उपलब्धि
केवल एक व्यक्ति की
नहीं, बल्कि पूरे भारत की सनातन संस्कृति
की जीत है। प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश
लाखों युवाओं को प्रेरित करेगा
कि हमारी वेद-पुराण परंपरा आज भी प्रासंगिक
है और इसे अपनाने
से जीवन में अद्भुत ऊर्जा और शांति मिलती
है।