
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया
पर इस मुलाकात को
“अद्भुत अनुभव” बताया और कहा कि,क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल
डियाज़-कैनेल बर्मुदेज़ से मिलना शानदार
अनुभव रहा। हमारी बातचीत में कई महत्वपूर्ण विषयों
पर चर्चा हुई। भारत-क्यूबा के बीच आर्थिक
संबंधों में अपार संभावनाएं हैं। तकनीक, स्वास्थ्य और ऊर्जा जैसे
क्षेत्र भविष्य में द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाई
तक पहुंचा सकते हैं।”
प्रधानमंत्री ने यह भी
उल्लेख किया कि क्यूबा में
आयुर्वेद की लोकप्रियता तेजी
से बढ़ रही है, जो भारत की
पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की वैश्विक स्वीकार्यता
का संकेत है। दोनों देशों के नेताओं ने
इस बात पर सहमति जताई
कि आयुर्वेद के क्षेत्र में
साझेदारी को और सशक्त
किया जाए।
भारत और क्यूबा ने
आपदा प्रबंधन तंत्र को और मजबूत
करने पर भी सहमति
जताई। दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन
और प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती चुनौतियों
के बीच, संयुक्त प्रयासों और तकनीकी आदान-प्रदान को प्राथमिकता देने
का संकल्प लिया।
यह मुलाकात सिर्फ
एक औपचारिक कूटनीतिक संवाद नहीं थी, बल्कि दो मित्र राष्ट्रों
के बीच सहयोग की भावना को
सशक्त करने वाला क्षण भी था। प्रधानमंत्री
मोदी की विदेश नीति
में यह एक और
महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है,
जो ग्लोबल साउथ को एकजुट करने
की दिशा में बड़ा कदम है।
भारत और क्यूबा के
बीच इस ऐतिहासिक मुलाकात
से साफ है कि आगामी
वर्षों में दोनों देशों के संबंध बहुआयामी
और रणनीतिक होने वाले हैं। आयुर्वेद, तकनीक, ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसे
क्षेत्रों में सहयोग के जरिए भारत
विश्व में अपनी भूमिका को और मजबूत
कर रहा है।