वृक्षारोपण वर्तमान को सजाने और भविष्य को बचाने की पहल योगी आदित्यनाथ

 

गोरखपुर, उत्तर प्रदेशउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि पर्यावरण संरक्षण केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक समर्पित अभियान है। "एक पेड़ माँ के नाम 2.0" नामक वृहद वृक्षारोपण अभियान के अंतर्गत योगी जी ने महायोगी गुरु श्री गोरखनाथ जी की पावन भूमि गोरखपुर में पौधारोपण कर अभियान की शुरुआत की।
योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा, "यह वृक्षारोपण मात्र कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह वर्तमान को सजाने और भविष्य को बचाने का भी एक अभियान है।" उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से आग्रह किया कि वे इस हरित आंदोलन में भाग लें और अपने जीवन में कम से कम एक वृक्ष अपनी माँ के नाम जरूर लगाएं।
"एक पेड़ माँ के नाम" एक अनोखी पर्यावरणीय पहल है, जिसमें नागरिकों को प्रेरित किया जाता है कि वे अपनी माँ के सम्मान में एक वृक्ष लगाएं। इसका उद्देश्य है प्रकृति के प्रति भावनात्मक जुड़ाव पैदा करना और समाज में हरित चेतना को बढ़ावा देना।
इस अभियान के दूसरे संस्करण (2.0) में लाखों लोगों ने भाग लिया और विभिन्न जिलों में हजारों पौधे रोपे गए। इस पहल ने वृक्षारोपण को एक भावनात्मक, सामाजिक और धार्मिक कर्तव्य के रूप में स्थापित किया है।
गोरखपुर, जो कि पहले बाढ़ और बीमारियों के लिए जाना जाता था, अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दृढ़ इच्छाशक्ति और हरित विकास नीति के चलते एक सस्टेनेबल मॉडल सिटी के रूप में उभर रहा है। गोरखनाथ मंदिर परिसर में हुए वृक्षारोपण कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि धार्मिक स्थलों को भी पर्यावरणीय जागरूकता का केंद्र बनाया जा सकता है।
योगी जी ने यह भी कहा कि सरकार अकेले पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकती। इसमें सामूहिक जनभागीदारी आवश्यक है। उन्होंने युवाओं, विद्यार्थियों, किसान भाइयों, महिलाओं और स्वयंसेवी संस्थाओं से आग्रह किया कि वे इस मुहिम को जनांदोलन बनाएं।
"एक पेड़ माँ के नाम" अभियान का गहरा संदेश यह है कि वृक्षारोपण केवल एक दायित्व नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव और सामाजिक उत्तरदायित्व है। यदि हर नागरिक यह संकल्प ले कि वह हर वर्ष एक पेड़ लगाए और उसकी देखभाल करे, तो आने वाली पीढ़ियों को हम एक स्वस्थ, स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण उपहार स्वरूप दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गोरखपुर में शुरू किया गया यह वृक्षारोपण अभियान नए भारत की सोच और संस्कारों का प्रतीक है। यह केवल पर्यावरण सुधार का एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत को हरा-भरा और जीवनदायिनी बनाने का संकल्प है।
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