प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी हाल ही में एक
जनसभा के दौरान अपनी
भावनाओं पर काबू नहीं
रख पाए और बेहद भावुक
हो उठे। उन्होंने कहा –“मेरी मां अब सशरीर इस
दुनिया में नहीं हैं। उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। फिर भी जिस प्रकार
उन्हें भद्दी गालियां देकर अपमानित किया गया, उसका दर्द मुझे बिहार की माताओं-बहनों
और बेटियों के आंसुओं में
साफ नजर आया।”मोदी
का यह बयान न
केवल श्रोताओं के दिल को
छू गया बल्कि सोशल मीडिया पर भी व्यापक
चर्चा का विषय बन
गया।प्रधानमंत्री
मोदी ने अपने संबोधन
में स्पष्ट किया कि माँ का
रिश्ता राजनीति से कहीं ऊपर
होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी
माँ को गाली देना,
केवल एक परिवार का
अपमान नहीं बल्कि पूरे समाज की भावनाओं को
ठेस पहुँचाना है। मोदी ने कहा कि
जब उनकी माँ को अपमानित किया
गया तो उन्हें लगा
कि जैसे बिहार की लाखों माताओं-बहनों और बेटियों के
आँसू उस पीड़ा को
बयान कर रहे हों।
अपने
भाषण के दौरान मोदी
ने बिहार की जनता को
संबोधित करते हुए कहा कि उनका और
बिहार का रिश्ता केवल
राजनीति का रिश्ता नहीं
बल्कि भावनाओं और विश्वास का
रिश्ता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहार की
धरती हमेशा से मातृत्व और
संस्कृति का प्रतीक रही
है, और वे खुद
को इस सम्मानित धरती
का बेटा मानते हैं।
मोदी
का यह बयान सोशल
मीडिया पर तेजी से
वायरल हो गया। ट्विटर
(अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर
#ModiEmotional, #MaaKaSamman और
#BiharWithModi जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लाखों लोगों ने पीएम मोदी
की भावनाओं से सहमति जताई
और माँ के सम्मान की
रक्षा को सर्वोच्च बताया।
विशेषज्ञों
का मानना है कि प्रधानमंत्री
मोदी का यह बयान
केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया
नहीं बल्कि मानवीय अपील थी। उन्होंने अपने व्यक्तिगत दुख को बिहार की
माताओं और बहनों के
आंसुओं से जोड़कर यह
संदेश दिया कि किसी भी
माँ का अपमान पूरे
समाज का अपमान है। प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के भावुक शब्दों
ने यह स्पष्ट कर
दिया कि माँ का
सम्मान राजनीति से कहीं ऊपर
है। चाहे वह उनकी व्यक्तिगत
माँ हो या बिहार
की माताएँ-बहनें – हर माँ का
दर्द और हर बेटी
का आंसू समान रूप से सम्मान के
योग्य है। मोदी ने अपने बयान
से यह संदेश दिया
कि राजनीति में चाहे कितना भी मतभेद हो,
लेकिन माँ का सम्मान और
स्त्रियों की गरिमा कभी
आहत नहीं होनी चाहिए।
