उत्तराखंड राज्य स्थापना के पच्चीस वर्ष: रजत जयंती वर्ष – क्या खोया, क्या पाया

 

                  
  लेखक: डॉ. मुरली मनोहर भट्ट (उत्तराखंड विद्यालयी माध्यमिक शिक्षा विभाग में  शिक्षक एवं हिंदी साहित्यकार हैं
उत्तराखंड का गठन 9 नवम्बर 2000 को हुआ। आज जब हम राज्य स्थापना के पच्चीस वर्ष यानी रजत जयंती वर्ष मना रहे हैं, यह समय है अपने राज्य की उपलब्धियों और कमियों का गहन मूल्यांकन करने का। यह केवल राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि हमारी सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना और स्थानीय संघर्ष की जीत भी थी।                                                                                                               
 क्या पाया: उत्तराखंड ने पिछले 25 वर्षों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। हमारी पहाड़ी संस्कृति, लोक कला और परंपराएं संरक्षण के दायरे में आई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों का विकास हुआ, जिससे युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा राज्य में ही मिलने लगी। विशेष रूप से यह आवश्यक है कि हर हाई स्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज में संस्कृत विषय के पद सृजित किए जाएं और हर विद्यालय अपने 3 किमी के दायरे में उपलब्ध हो, ताकि शिक्षा सभी के लिए सुगम हो।
पर्यटन और धार्मिक स्थल : जैसे केदारनाथ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब, गंगोत्री, यमुनोत्री, ने अर्थव्यवस्था को सक्रिय किया। इसके साथ ही, जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रयास भी बढ़े हैं।
क्या खोया : लेकिन इस दौरान कई नुकसान भी हुए। राजनीतिक अस्थिरता ने राज्य के सुचारू विकास को प्रभावित किया। पहाड़ी कृषि में सुधार नहीं हुआ, जिससे स्थानीय किसान अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। शराब और अन्य उद्योगों की बढ़ती फैक्ट्रियां पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गई हैं। भूमि और प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन, भूमाफियाओं की गतिविधियां और प्रतियोगिता परीक्षाओं में नकल माफियाओं की बढ़ती घटनाओं ने सामाजिक ढांचे को कमजोर किया।
यातायात और सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में भी गंभीर चुनौतियां हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं की दर चिंता का विषय है। लोक निर्माण विभाग में गैंगमैन की भर्ती स्थायी रूप से होनी चाहिए, ठेकेदारी प्रथा बंद की जानी चाहिए और सड़कों का रखरखाव नियमित रूप से सुनिश्चित होना चाहिए। साथ ही, यातायात पुलिस की गश्त और जिम्मेदारी पहाड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग और लिंक मार्गों पर नियमित होनी चाहिए, ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
आगे का रास्ता: रजत जयंती वर्ष हमें चेतावनी और अवसर दोनों देता है चेतावनी इसलिए कि हमने जो खोया है, उसे पुनः पाने की आवश्यकता है: राजनीतिक स्थिरता, कृषि सुधार, पर्यावरण संरक्षण, सड़क सुरक्षा और सामाजिक न्याय। अवसर इसलिए कि हमने जो पाया है, उसे संरक्षित और विकसित करने का जिम्मा हम सबका है।
इस दिशा में कदम उठाना आवश्यक है ? : प्रतियोगिता में नकल माफिया पर सख्त कार्रवाई। भूमाफिया और अवैध निर्माण पर नियंत्रण। पहाड़ी कृषि को तकनीकी और आर्थिक सहयोग देना।शराब और औद्योगिक विकास को पर्यावरणीय संतुलन के साथ नियंत्रित करना। लोक निर्माण विभाग में स्थायी गैंगमैन भर्ती नियमित रूप से हो। और ठेकेदारी प्रथा का अंत हो। सड़क रखरखाव को नियमित बनाना और दुर्घटनाओं को रोकना। यातायात पुलिस की गश्त को राष्ट्रीय राजमार्गों और लिंक मार्गों पर नियमित बनाना।
शिक्षा विभाग में शिक्षा अधिकारियों  को छात्र ,छात्राओ तथा शिक्षकों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर शासन प्रशासन स्तर से मैत्रीपूर्ण व्यवहार के साथ हल करने योग्य होना चाहिए तथा भ्रष्ट अधिकारियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए। हर हाई स्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज में संस्कृत विषय के पद सृजित करना आवश्यक है। विद्यालयी माध्यमिक शिक्षा में शिक्षकों की पदोन्नतियां हर स्तर पर हो,प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति से पद भरे जाएं। हर विद्यालय को 3 किमी के दायरे में उपलब्ध कराना। पुलिस और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करना। यदि हम इन चुनौतियों का समाधान करें, तो उत्तराखंड केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से बल्कि आर्थिक, सामाजिक और प्रशासनिक रूप से भी सशक्त राज्य बन सकता है।

 

 

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